Wednesday, December 7, 2011

‘वेलि क्रिसन रुक्मणी री’ की भाषा साहित्यिक राजस्थानी

आरपीएससी के एक सवाल पर अखिल भारतीय राजस्थानी भाषा मान्यता संघर्ष समिति ने जताई आपत्ति


    बुधवार को प्रदेशभर में हुए द्वितीय श्रेणी शिक्षक भर्ती परीक्षा के सामान्य ज्ञान एवं सामान्य विज्ञान प्रश्न पत्र में राजस्थानी के प्रसिद्ध ग्रंथ ‘वेलि क्रिसन रुक्मणी री’ की भाषा से संबधित सवाल पर अखिल भारतीय राजस्थानी भाषा मान्यता संघर्ष समिति ने आपत्ति जताई है। समिति ने कहा है कि पेपर में ‘बेलि क्रिसण रूक्मणि’ किस भाषा का ग्रंथ है ? सवाल के विकल्प पूर्वी मारवाड़ी, उत्तरी मारवाड़ी, दक्षिणी मारवाड़ी तथा उत्तर-पूर्वी मारवाड़ी दिए गए हैं जो राजस्थानी भाषा की एक बोली मारवाड़ी की उप-बोलियों के हैं। समिति के प्रदेश महामंत्री डॉ. राजेन्द्र बारहठ ने बताया कि इस ग्रंथ की रचना संवत 1637 में अकबर के नौ रत्नों में शामिल बीकानेर निवासी महाकवि पृथ्वीराज राठौड़ ने झालावाड़ के गागरोन गढ़ में बैठकर की थी तथा इसकी भाषा उस समय की प्रचलित साहित्यिक राजस्थानी है। राजस्थानी की शास्त्रीय कविता की डिंगल शैली में रचित इस ग्रंथ का प्रथम संपादन इटली के भाषाविद एलपी टैसीटोरी ने किया था तथा सन् 1917 में इसका प्रकाशन हुआ था। बाद में प्रसिद्ध विद्वान ठा. रामसिंह एवं पं. सूर्यकरण पारीक ने भी इस ग्रंथ का संपादन कर हिंदी टीका लिखी थी। बारहठ का कहना है कि रचनाकार के जन्म-स्थल या रचना-स्थल के आधार पर किसी ग्रंथ की भाषा का निर्धारण नहीं किया जा सकता। यह राजस्थानी का विश्व प्रसिद्ध ग्रंथ है जो राजस्थानी एमए के पाठ्यक्रमों मंे पूरे प्रदेश में तथा एमए हिंदी के राजस्थानी व डिंगल प्रश्न-पत्रों के पाठ्यक्रम में शामिल है। इसके अलावा शोध संस्थानों के पांडुलिपि संग्रहों में इस ग्रंथ की प्रतियां सैकड़ों की तादाद में उपलब्ध होती हैं तथा यह ग्रंथ देश व दुनिया के अन्य कई विश्वविद्यालयों मंे भी पढ़ाया जाता रहा है। बारहठ ने दावा किया है कि प्रश्न में उत्तर के लिए दिए गए चारों विकल्प गलत हैं और इसके लिए आरपीएससी को अभ्यर्थियों के हितों को ध्यान में रखते हुए ही निर्णय लेना चाहिए तथा योग्य तथा अनुभवी विद्वानों को ही पेपर निर्माण का जिम्मा सौंपना चाहिए।
प्रेषक: डॉ. सत्यनारायण सोनी, प्रदेश मंत्री, अखिल भारतीय राजस्थानी भाषा मान्यता संघर्ष समिति।

2 comments:

  1. baat Ekdum saachi hai.hindi syun b purani hai rajasthani.jad hindi ra potadiya sukhe ha jad rajasthani aapre pota poti ar dohitavan ne kheelave hi.tt md

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  2. राजस्थानी भासा रै मुद्दै माथै हरेक समाचार री हाथो हाथ जाणकारी पाठकां नै देण सारु.... प्रिय भाई..डॉ. सत्यनारायण सोनी नै घणी-घणी बधाई..

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