tag:blogger.com,1999:blog-2062034415620256697.post2434287724204832297..comments2023-08-08T04:08:18.011-07:00Comments on AAPNI BHASHA-AAPNI BAAT: राजस्थानी को बचाना जरूरीAAPNI BHASHA - AAPNI BAAThttp://www.blogger.com/profile/17994132474389727135noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-2062034415620256697.post-47977504380196386922010-04-15T03:05:10.100-07:002010-04-15T03:05:10.100-07:00अकल सरीरां ऊपजै, देयां लागै डाम।
आ कहावत झूठी नीँ ...अकल सरीरां ऊपजै, देयां लागै डाम।<br />आ कहावत झूठी नीँ है।आं मिजळां नै लाज नीँ।आं री अकल ठिकाणोँ छोड गी।अब तो डाम ई देवणा पड़सी।विनोद सारस्वत जेड़ा लोगां नै कै'वो कै चीँपिया ताता अनै डोभा राता कर दिल्ली नेड़ी लेवो।अब आं मोट्यारां रै गेल बगां आपां।ओम पुरोहित'कागद'https://www.blogger.com/profile/13038563076040511110noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2062034415620256697.post-82335799830077511842010-04-12T06:40:27.670-07:002010-04-12T06:40:27.670-07:00aap hachi bat ko ho sa
maka hame aapni bhasha ko ...aap hachi bat ko ho sa<br /><br />maka hame aapni bhasha ko dam gut ja asso veva ni devanga me aap ka ani nek kam me hate ha sa <br /><br />rajasthankavitakosh.blogspot.com<br />kavyawani.blogspot.com<br /><br />amritwani.com<br /><br />shekhar kumawatShekhar Kumawathttps://www.blogger.com/profile/13064575601344868349noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2062034415620256697.post-52884804282456028482010-04-11T20:17:55.552-07:002010-04-11T20:17:55.552-07:00म्हने राजस्थान रा इण मिजला राज्नेतावा रे माथे घणी ...म्हने राजस्थान रा इण मिजला राज्नेतावा रे माथे घणी रीस आवे. जिका वोट लेव्ती वगत तो राजस्थानी रा गुण गावे. अर कुर्सी मिलता ही ऐ गुणगाल नेता भाषा रे भावा ने भूल जावे. इण कालीचरण सराफ ने देखो के जिण वगत ओ राजस्थान रो सिक्षा मंत्री हो उन वगत ओ कोई जस नी ले सक्यो. १९९३ में जद राजस्थान री विधान सभा में राजस्थानी री मानता रो प्रस्ताव आयो उन वगत ओ खुद राजस्थानी री मानता री बात ने सिकारी अर इण रे पख में बोल्यो. आ कित्ती ओछी बात लागे के राजस्थान रे पेलीड़े सिक्षा मंत्री ने हाल ओ इज ज्ञान कोनी के इण देश री राष्ट्रभाषा किसी है? इण हरामखोर रे ज्ञान वास्ते बतादू के भारत रे सविंधान अबार री घडी २२ भाषावा ने रास्त्रभासावा रे सरूप मानता दे राखी है. दूजी बात हेमा राम चौदरी रे बयान पर केव्णी चावू के उन ने भाषा अर बोली में काई फर्क वेह इण रो ज्ञान कोनी. हिंदी रा ९३ रूप है अर राजस्थानी रा ७३ रूप है. अर बोली इण भाषा रा मिणिया है जिण भान्त मिणिया रे बिना माला नी बने तो बोली रे बिना भाषा नी बणे. जिण भाषा री जीतती बोलिया ने सरूप हुसी उन री सामर्थ भी घणी लूंठी हुसी. हरेक भाषा री आपरी न्यारी न्यारी बोलिया व्हे अर बोलिया सू इज भाषा बणे. बारे कोसा बोली बदले प्रकृति रो नेम आखे जगत में चाले. भाषा बा व्हे. जिण में साहित्य रो सिरजन व्हे. जदी भाषा रो ज्ञान नी है तो पाछा पोसाला में जावो अर आ सीख ने आवो के भाषा अर बोली में काई फर्क व्हे. देश रो संविधान पढो. पढनो नी आवे तो पढ्या लिख्या सू सीखो. पण एक बात सुनलो के जिण बात रो ज्ञान कोनी उन में टांग मति अडावो. थे थारी राजनीति री रोत्या सको, भाषा री पंचायती मति करो.vinod saraswathttps://www.blogger.com/profile/08272446323832358799noreply@blogger.com